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मुझे है याद मेरी मां ने मरते दम सम्हाला है. ये घर,ये द्वार,ये बैठक और ये जो देवाला है !

Misfit : मिसफ़िट
Misfit : मिसफ़िट
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वही क्यों कर सुलगती है वही क्यों कर झुलसती है ?
रात-दिन काम कर खटती, फ़िर भी नित हुलसती है .
न खुल के रो सके न हंस सके पल –पल पे बंदिश है
हमारे देश की नारी, लिहाफ़ों में सुबगती है !

वही तुम हो कि जिसने नाम उसको आग दे डाला
वही हम हैं कि जिनने उसको हर इक काम दे डाला
सदा शीतल ही रहती है भीतर से सुलगती वो..!
कभी पूछो ज़रा खुद से वही क्यों कर झुलसती है.?

छिपाती थी बुखारों को जो मेहमां कोई आ जाए
कभी इक बार सोचा था कि “मां ” ही क्यों झुलसती है ?
तपी वो और कुंदन की चमक हम सबको पहना दी
पास उसके न थे-गहने मेरी मां , खुद ही गहना थी !
तापसी थी मेरी मां ,नेह की सरिता थी वो अविरल
उसी की याद मे अक्सर मेरी आंखैं छलकतीं हैं.

विदा के वक्त बहनों ने पूजी कोख माता की
छांह आंचल की पाने जन्म लेता विधाता भी
मेरी जननी तेरा कान्हा तड़पता याद में तेरी
तेरी ही दी हुई धड़कन मेरे दिल में धड़कती है.

आज़ की रात फ़िर जागा उसी की याद में लोगो-
तुम्हारी मां तुम्हारे साथ तो होगी इधर सोचो
कहीं उसको जो छोड़ा हो तो वापस घर में ले आना
वही तेरी ज़मीं है और उजला सा फ़लक भी है !


गीतकार: गिरीश बिल्लोरे”मुकुल”
संपर्क
969/A-II,गेट न०04,
स्नेह-नगर रोड,जबलपुर
मध्यप्रदेश, पिन:-482002
फोन:
निवास–07614082593
मोबाइल-09479756905
Email :
girishbillore@gmail.com

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